पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तीन बार से लगातार किसी विरोध के कांग्रेस अध्यक्ष बन रही सोनिया गांधी के सुपुत्र तथा राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में युवाओं को नसीहत देते हुए कहा है कि वे चमचागीरी छोङ दें साथ ही भाई – भतीजावाद भी। नेहरु खानदान के नये वारिश के मुंह से यह सुनकर आपको भी उतना ही अटपटा लगेगा, जितना मुझे। चमचागीरी और भाई – भतीजावाद तो कांग्रेस के पोर – पोर में लहू बनकर तब से दौङ रहा है जब राष्ट्रपिता जिंदा थे। राष्ट्रपिता ने भले ही भाई – भतीजावाद नहीं किया लेकिन इतिहास बताता है कि इनकी वजह से उनके भी दामन पर झींटे पङे। आज जब वे जब चमचागीरी और भाई – भतीजावाद छोङने की बात कर रहे हैं तो ये शब्द बेहद शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि कांग्रेस चमचों का वह अखाङा है जो रचनात्मकता की दृष्टि से मुर्दों का टीला नजर आता है। मंत्री से लेकर छुटभैये तक 10 जनपथ की चमचागीरी की प्रतिस्पर्धा में चारणों को मात कर रहे हैं। अगर राहुल गांधी चमचागीरी से इतने ही त्रस्त हैं तो होना यह चाहिए कि चमचागीरी का विरोध न कर चमचागीरी के स्रोत को बंद करें। उन तमाम रास्तों को भी जहां से चमचागीरी पनपती है। यह बात इंदिरा गांधी के शासनकाल में सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने “कुत्ता – 1” कविता में पहले ही संकेत कर दिया था। आप भी उसकी बानगी अमरबेल पर देखिए ---
“कुत्ता – 1”
कुत्ते की दुम काट दो
दुम हिलाने का भाव
नहीं जाएगा ।
सभी कुत्तों की दुम काट दो
फिर भी
दुम हिलाने का भाव
नहीं जाएगा ।
क्योंकि कुत्ता
आदत से टुकङखोर है
तुम्हें टुकङखोरी के रास्ते
बंद करने होंगे ।
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