खोल दो अब द्वार प्रेयसि, प्रात का
मुक्त हो बन्दी अभागिन रात का।
जानता हूं किस लिए बिखरा तिमिर
क्योंकि खिलता था ह्रदय जलजात का।
तप्त है ज्वर से उजाले का बदन
उष्ण है स्पर्श तेरे गात का।
प्रीत की वह रीत पिछ्ली भूल जा
यह नहीं अवसर निठुर आघात का।
कौन कहता है कहानी प्यार की,
यह तुम्हें उत्तर तुम्हारी बात का।
1 टिप्पणी:
bahut hi badiya ...
Please Visit My Blog..
Lyrics Mantra
एक टिप्पणी भेजें