रविवार, अक्तूबर 03, 2010

“राग डींग कल्याण”

      आज दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम का शुभारंभ हो रहा है। इस अवसर पर अमरबेल सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता “राग डींग कल्याण” पेश करता है-  


तेरी भैंस को डण्डा कब मारा
मैंने भैंस को डण्डा कब मारा!
     तेरी भैंस है प्रज्ञा पारमिता
     उसने मेरी खेती खाई थी।
     तेरी भैंस है जनता की प्रतिनिधि
     उसने मेरी छान गिरायी थी।
     तेरी भैंस ने खाया कामसूत्र
     तेरी भैंस ने खा डाली गीता
     तेरी भैंस से अब क्या शेष रहा
     तेरी भैंस से ही यह युग बीता
तेरी भैंस के संग सब भैंस हुए
तेरी भैंस के होवे पौबारा।
तेरी भैंस को डण्डा कब मारा?
मैंने भैंस को डण्डा कब मारा?
     तेरी भैंस का होगा अभिनन्दन
     तेरी भैंस का मैं करता वन्दन
     तेरी भैंस शांति की सूत्रधार
     तेरी भैंस आत्मा की क्रन्दन
     तेरी भैंस के पागुर में भविष्य
     तेरी भैंस के पागुर में अतीत
तेरी भैंस के आगे शीश झुका
तेरी भैंस सभी से रही जीत!
तेरी भैंस ही है मेरा जीवन
तेरी भैंस ही है मेरा नारा!
तेरी भैंस को डण्डा कब मारा?
मैंने भैंस को डण्डा कब मारा?
     तेरी भैंस के आगे बीन बजी
तेरी भैंस के आगे शहनाई
तेरी भैंस घुस गई संसद में
सब संविधान चट कर आयी
तेरी भैंस के भैंस में भैंस रहे
तेरी भैंस के भैंस में भैंस बहे
तेरी भैंस करे जो जी चाहे
तेरी भैंस से अब क्या कौन कहे?
तेरी भैंस मेरे सिर - माथे पर
तेरी भैंस पे यह तन – मन वारा!
तेरी भैंस को डण्डा कब मारा?
मैंने भैंस को डण्डा कब मारा?
    

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